कलश स्थापना शुभ मुहूर्त -(Kalash sthapna)
कलश स्थापना शुभ मुहूर्त :
शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना करना, सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक होता है। घटस्थापना नवरात्रों की शुरुआत का प्रतीक है। यह अनुष्ठान प्रतिपदा तिथि अर्थात नवरात्र के शुरुआती दिन पर किया जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर 2024.
* सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक
* दोपहर 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
नवरात्र में कलश या घट स्थापना कैसे करें !
कलश स्थापना के लिए आवश्यक साम्रगी :-
पूजन सामग्री …………..
1-जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र।
2-जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी।
3-पात्र में बोने के लिए जौ।
4-कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
5- मौली।
6-इत्र।
7-साबुत सुपारी।
8-दूर्वा।
9-कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के।
10-पंचरत्न।
11-अशोक या आम के 5 पत्ते।
12-कलश ढकने के लिए मिटटी का दीया।
13-ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल।
14-पानी वाला नारियल।
15-नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा।
16 – अखंड ज्योति (एक ऐसा दीपक जिसको आप १० दिन तक जला सके, इस बात का ध्यान रहे की दीपक बुझे नहीं इससे आपके घर में एक दिव्य वातावरण पैदा होगा)
17- पान के पत्ते ,
18- कुमकुम,
19- जनेऊ,
20- सिन्दूर,
21- दीपक,
22- रुई बत्ती,
विधि :
नवरात्र का श्रीगणेश शुक्ल प्रतिपदा को शुभ महूर्त में घट स्थापना से होता है , सबसे पहले
जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र लें , इस पात्र में मिट्टी की एक परत बिछा दें, मिट्टी की परत
पर एक परत जौ की बिछाएं , इसके ऊपर फिर से मिट्टी की एक परत बिछा दें , अब फिर एक
परत जौ की बिछाएं, जौ के बीजों को चारों तरफ बिछाएं ताकि जब कलश रखा जाए तो जौ कलश के
नीचे दबे नहीं,
कलश तैयारी :
धातु का कलश लेकर उसमें ऊपर तक जल एवं गंगाजल भर लें ,
कलश के कंठ पर मौली बांध दें.
कलश में साबुत सुपारी , दूर्वा , फूल , इत्र, पंचरत्न आदि डालने के बाद कुछ सिक्के में रखें !
कलश में मुख पर अशोक या आम के पांच पत्ते रख दें !
फिर कलश का मुख ढक्क्न से बंद कर दें , उस ढक्क्न में चावल भर दें ,
उसके बाद ढक्कन के ऊपर छिलका युक्त नारियल को लाल वस्त्र या चुनरी से लपेटकर रखना चाहिए!
कलश की वेदिका पर स्थपना :
कलश को कभी भी वेदिका पर रखने के बाद उसकी तैयारियां नहीं करनी चाहिए बल्कि कलश को
ऊपर बताए तरीके से विधिवत तैयार करने के बाद वेदिका पर रखा जाता हैं !
कलश में विराजने के लिए सभी देवी देवताओं का आवाहन करें !
जल के देवता वरूणा औंर मां दुर्गा का विशेष रूप से आह्रान करें !
‘’ हे सभी देवी देवता और माँ दुर्गा आप सभी नौ दिनों के लिए इसमें पधारें “ !
वेदिका पर स्थापित कलश का अब धूप दीप से पूजन करें ! उसके बाद कलश पर माला,
फल, मिठाई, सुगांधि यानी इत्र समर्पित करें !
कलश पर नारियल स्थापना में सावधानी :
शास्त्रों में नारियल के मुख को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ बातें कहीं गई हैं !
नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु बढ़ते हैं ,
नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं !
जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुखा होने से धन का विनाश होता है !
इसलिए नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख
साधक की तरफ रहे , नारियल के मुख उसे मानना चाहिए जिस सिरे से वह पेड़
की टहनी से जुड़ा होता हैं .
शारदीय नवरात्र में कलश या घट स्थापना कैसे करें|
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